V.S Awasthi

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हिन्दी जननी आज रो रही

हिन्दी जननी आज रो रही उठो लाल अब आंखें खोलो
अब तक तुमने अंग्रेजी बोली अब तो मां की भाषा बोलो
अंग्रेजी से प्रेम है इतना ये तो दासत्व की भाषा है
प्रेम करो अपनी हिन्दी से जो मातृत्व की भाषा है
जन्म हुआ तेरा हिन्दी में हिन्दी में ही मिट जाना है
जीवन में हिन्दी अपना लो हिन्दी का मान बढ़ाना है
हिन्दी ही तेरी जननी है हिन्दी के हैं रुप अनेक
हिन्दी पत्नी, हिन्दी भगिनी हर रिश्ते में हिन्दी एक
हिन्दी हमको जीवन देती है हिन्दी ही भोजन देती है
हिन्दी हमको प्रेम सिखाती तन,मन औ धन भी देती है
भारत तो आजाद हो गया अब प्रेम से बोलो हिन्दुस्तान
हिन्दी को भी आजाद करा दो बढ़ जाए हिन्दी का भी मान
बन्द करो ये दिवस मनाना हो जाओ हिन्दी पर कुर्बान
हिन्दुस्तान में भाषा हिन्दी का केवल होगा सम्मान
मेरा जो सम्मान करेगा रखेंगे उस भाषा का मान
सर्वश्रेष्ठ है हिन्दी भाषा विश्व में हो इसका सम्मान
अपना ज्ञान बढ़ाना हो कर लो हर भाषा का ज्ञान
लेकिन हिन्दुस्तान में होगा केवल बस हिन्दी सम्मान
पथिक आज आवाहन करता हिन्दी की शपथ उठाता है
जब तक तन में सांस रहेगी हिन्दी को शीश झुकाता है।


स्वरचित:- 

विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
०१/०९/२०२२

# हिंदी दिवस प्रतियोगिता 

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7 Comments

Renu

01-Sep-2022 10:26 PM

👍👍

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लाजवाब लाजवाब लाजवाब जबरदस्त,,, outstanding

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